महिलाओं की लिखी 140 किताबें “हराम”- ये काम सिर्फ तालिबान कर सकता

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान के विश्वविद्यालयों में महिलाओं की लिखी किताबों को हटाने का आदेश जारी कर दिया है।
जी हां, अब “सेफ़्टी इन द केमिकल लेबोरेटरी” जैसी वैज्ञानिक किताबें भी शरिया विरोधी मानी जा रही हैं।

महिलाओं की लिखी 140 किताबें “हराम”?

तालिबान का दावा है कि इन किताबों में मौजूद विचार “इस्लामी व्यवस्था के ख़िलाफ़ हैं”। 680 किताबों की बैन लिस्ट में करीब 140 ऐसी किताबें हैं जो महिलाओं ने लिखी हैं। अब लगता है कि कलम से खतरा है, किताबों से बगावत है।

कौन-कौन से विषय हुए बैन?

तालिबान ने 18 विषयों की यूनिवर्सिटी-लेवल पढ़ाई पर रोक लगा दी है। इनमें शामिल हैं:

  • मानवाधिकार (Human Rights)

  • यौन उत्पीड़न पर जागरूकता (Sexual Harassment)

  • समाजशास्त्र

  • विकास अध्ययन

  • अंतरराष्ट्रीय संबंध

  • पत्रकारिता

  • और यहां तक कि Gender Studies भी

यानि पढ़ाई वो ही चलेगी जो तालिबान को पच जाए।

इंटरनेट भी “हराम” हो गया?

इस हफ्ते तालिबान ने 10 प्रांतों में फाइबर-ऑप्टिक इंटरनेट बंद करवा दिया।
कारण?

“अनैतिकता को रोकने के लिए।”

अब न किताब पढ़ो, न ऑनलाइन कुछ सीखो — Welcome to Digital Darkness!

तालिबानी तर्कशास्त्र:

“ज्ञान अगर विरोध पैदा करे, तो ज्ञान ही क्यों दो?”

यह नया आदेश तालिबान की महिला विरोधी नीतियों की एक और कड़ी है। बेटियों को स्कूल भेजना तो पहले ही बंद, अब यूनिवर्सिटी में सोचने का विषय भी तय हो गया।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं?

मानवाधिकार संगठनों और यूनिवर्सिटी समूहों ने इस फैसले को:

  • “बौद्धिक नस्लीय सफ़ाया” (intellectual cleansing)

  • और “आधुनिक दासता का प्रतीक” करार दिया है।

UN Women और Amnesty International ने इस कदम को “महिलाओं की आवाज़ दबाने की साजिश” बताया है।

क्या ये नया अफगानिस्तान है?

जिस देश में:

  • महिलाएं किताब नहीं लिख सकतीं,

  • पढ़ नहीं सकतीं,

  • इंटरनेट नहीं इस्तेमाल कर सकतीं,
    वो समाज शिक्षा नहीं, सज़ा की ओर बढ़ रहा है।

तालिबान ने यह साफ कर दिया है कि उन्हें “ज्ञान की नहीं, नियंत्रण की भूख है।” अब सवाल सिर्फ अफगान महिलाओं का नहीं है — सवाल ये है कि क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस “शैक्षणिक जनसंहार” पर सिर्फ ट्वीट ही करता रहेगा? किताबों से डरने वाले इतिहास में हमेशा हारे हैं — लेकिन अफसोस, ये हार बहुत देर से आती है!”

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